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मेरी यह मंजिल नहीं

Guest Writer - inext
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यूं तो आंखों में आर्मी ऑफिसर बनने का ख्वाब था. दिल में देश के लिए जान लडा देने का जज्बा हमेशा हिलोरे मारता था, लेकिन किस्मत में कुछ और ही लिखा था. एमटीवी के शो रोडीज में हिस्सा लिया और देखते ही देखते मेरी किस्मत मुझे इस मुकाम पर ले आई. वाकई यह सफर हैरान करने वाला था. फिर भी मेरी ये सोच रही है, जो करो उसे पूरी मेहनत और ईमानदारी से करो. यही कामयाबी का मूलमंत्र है.

मैं जमीन से जुडा आम इंसान हूं. जिसके लिए घर-परिवार और दोस्त मायने रखते हैं. ग्लैमर वर्ल्ड का हिस्सा जरुर हूं, लेकिन आज भी पुरानी आदतें है. बाइक चलाना, फिल्में देखना, घूमना और मस्ती करना, मुझे आज भी अच्छा लगता है. यह अलग बात है कि पहले के मुकाबले अब सीरियस हो गया हूं. पहले सुख-सुविधाएं सब थीं, पर पैसे कम हुआ करते थे , आज वह भी है. जिंदगी में बदलाव होते हैं और समय के साथ ये जरुरी भी हैं, मैंने आर्मी जैसा बड़ा प्रोफेशन छोड़ा, जहां एक बार सैटल होने के बावजूद 40 साल के बाद बदलाव के बारे में सोचने की जरुरत होती है. मैं खुश हूं लेकिन मैंने ये निर्णय बहुत पहले ही ले लिया था कि जीवन में जो भी करुंगा उसे बेस्ट ही करुंगा. हट कर करुंगा.

रोडीज से शुरु हुआ मीडिया का सफर मजेदार है. रोज नए अनुभव और बहुत सारी बातें सीखता हूं. बास्केटबॉल, क्रिकेट और स्पोर्ट्स का बहुत शौक था. इसी वजह से आर्मी में अपना करियर देखता था. स्पोर्ट्स में रुचि और नया करने की भावना से रोडीज में आया. इसने मेरी लाइफ में यू टर्न ला दिया.

जिंदगी में जो भी मिला है, उसका मैंने हमेशा खुले दिल से स्वागत किया है. यूथ आइकन बनने की कभी कोशिश नहीं की. मैंने कभी ये नहीं सोचा था कि मुझे यूथ आइकन बनना है. मेरी जिंदगी में कुछ भी पहले से सोचा नहीं हुआ. हालांकि मेरी किस्मत मुझे जिस मुकाम पर लेकर आई है, वहां सबकुछ है. लेकिन मैं हमेशा वीजे बनकर नहीं रह सकता. आगे क्या करना है यह भी मुझे खुद तय करना है. ग्लैमर के अलावा कुछ करने का मन हमेशा करता है.

Published in INEXT, Dec 2009 – Foundation Week.

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